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पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति के जिमी कार्टर के नाम पर है भारत का ये गांव, दिलचस्प है ये किस्सा

जिमी कार्टर का निधन।

छवि स्रोत: पीटीआई/एएनआई
जिमी कार्टर का निधन।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर का रविवार को 100 वर्ष की आयु  में निधन हो गया है। कार्टर सेंटर और अमेरिकी मीडिया आउटलेट्स ने उनके निधन की घोषणा की है। आपको बता दें कि जिमी कार्टर अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति थे। वह इस पद पर 1977 से 1981 तक रहे थे। उन्हें 2002 में नोबेल शांति पुरस्कार भी मिला था। जिमी कार्टर का भारत से भी खास नाता है। आपको ये बात जानकर आश्चर्य होगा कि जिमी कार्टर के सम्मान में भारत के एक गांव का नाम उनके ही नाम पर रखा गया है। इस गांव का नाम है – ‘कार्टरपुरी’। आइए जानते हैं इस गांव के बारे में कुछ खास बातें।

कार्टरपुरी गांव का इतिहास

जिमी कार्टर अमेरिका के ऐसे तीसरे ऐसे राष्ट्रपति थे जिन्होंने भारत की यात्रा की थी। उन्हें भारत का मित्र माना जाता था। उन्होंने भारत में आपातकाल हटने और जनता पार्टी की जीत के बाद साल 1978 में भारत की यात्रा की थी। तीन जनवरी, 1978 को जिमी कार्टर और उनकी पत्नी रोजलिन कार्टर नयी दिल्ली के पास स्थित दौलतपुर नसीराबाद गांव गए थे। यह यात्रा इतनी सफल रही कि कुछ ही समय बाद गांव के निवासियों ने उस क्षेत्र का नाम बदलकर ‘कार्टरपुरी’ रख दिया।

नोबेल की खुशी में कार्टरपुरी में मना जश्न

कार्टर सेंटर के मुताबिक, जिमी कार्टर की मां लिलियन ने 1960 के दशक के आखिर में ‘पीस कोर’ के साथ स्वास्थ्य स्वयंसेवक के रूप में वहां काम भी किया था। जब साल 2002 में जिमी कार्टर को नोबेल शांति पुरस्कार मिला तो कार्टरपुरी गांव में उत्सव मनाया गया। इसके साथ ही तीन जनवरी को कार्टरपुरी में अवकाश रहता है। जिमी कार्टर की इस यात्रा ने भारत औऱ अमेरिका के बीच एक स्थायी साझेदारी की नींव रखी, जिससे दोनों देशों को काफी लाभ हुआ।

कार्टर ने भारत के लिए दिया था संदेश

अपनी भारत यात्रा के दौरान जिमी कार्टर ने बड़ा संदेश दिया था। उन्होंने कहा था- “भारत की कठिनाइयां, जिनका हम अक्सर स्वयं अनुभव करते हैं और जिनका विशेष रूप से विकासशील देशों को सामना करना पड़ता है, वे हमें भविष्य की जिम्मेदारियों की याद दिलाती हैं। सत्तावादी तरीके की नहीं।” कार्टर ने कहा था, ‘‘क्या लोकतंत्र महत्वपूर्ण है? क्या सभी लोग मानवीय स्वतंत्रता को महत्व देते हैं? भारत ने जोरदार आवाज में ‘हां’ में जवाब दिया है और यह आवाज पूरी दुनिया में सुनी गई।” (इनपुट: भाषा)

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